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एक सन्देश येशु मसीह की दुल्हन के नाम

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उस समय सात स्त्रियां एक पुरूष को पकड़कर कहेंगी कि रोटी तो हम अपनी ही खाएंगी, और वस्त्र अपने ही पहिनेंगी, केवल हम तेरी कहलाएं; हमारी नामधराई को दूर कर॥  - यशायाह ४:१  कि जो कुछ तू देखता है, उसे पुस्तक में लिख कर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात (१) इफिसुस और (२) स्मुरना, और (३) पिरगमुन, और (४) थुआतीरा, और (५) सरदीस, और (६) फिलेदिलफिया, और (७) लौदीकिया में। - प्रकाशित वाक्य १:११  प्रभु वचन के पढ़े जाने पर आशीष दे और प्रभु का बहुत ही धन्यवाद देते हैं इन पवित्र वचनो के लिए जो उसने अपने दास भविष्यवक्ताओ के द्वारा लिखवाये ताकि हम भी जो उसके नाम के कहलाते हैं इन्हें पढ़े और प्रभु से विनती करते हैं की वह अब अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा हमें इन वचनो को समझा दे जिससे की हम भी उसके वचनो के द्वारा पवित्र किये जाएं और बच सके और प्रभु हम सभी को अपने आने की तैयारी दे ताकि हम भी उसकी बादशाहत में प्रभु के अनुग्रह से दाखिल हो सकें।  प्रभु येशु मसीह के नाम से मांगते हैं  आमीन।  अब देखिये हमने प्रभु के कलाम में से यशायाह नबी की किताब ४:१ से पढ़ा। ...

एक सवाल

मेरा एक सवाल सिर्फ उन मसीही भाईयों से है जो ये कहते हैं कि हम पौलुस की बात नहीं मानेंगे, और हम येशु के चेलों की नहीं मानेंगे, और हम पुराने नियम की बात नहीं मानेंगे, सीर्फ येशु की बात मानेंगे... 1. अगर आप पौलुस और येशु के चेलों की नहीं मानेंगे और पुराना नियम अगर आपके लिए पुराना हो चुका तो क्या यह सही नहीं है कि हमें वो सब नये नियम की 90% किताबें जो पौलुस ने लिखी हैं और बाकी की 10% किताबें जो येशु के चेलों ने लिखी हैं, और जो पुराने नियम की सारी किताबें जोकी येशु ने नहीं लिखी और पुरानी हैं और मानी जाने वाली भी नहीं हैं उनको भी निकाल देना चाहिऐ..? 2. अब आपके पास बचा क्या इस लिए आप ऐसा भी नहीं करेंगे... लेकिन करना तो यही चाहीए...? 3. क्योंकि हमारा उद्धार तो सिर्फ विशवास करने से हुआ है, क्रम थोड़ी करना है??? तो क्या इसका मतलब "विश्वास क्रम बिना अधुरा है", यह आयत भी बाईबल से निकाल देनी चाहीए... क्योंकि बाईबल की सभी किताबें जोकि पौलुस, चेलौं और नबीयों ने लिखी हें वो विशवास और विशवास के उपर क्रम करना सिखाती हैं??? 4. तो फाईनली क्या करनी चाह...

क्या आप इस वेबसाइट के "एक सन्देश येशु मसीह की दुल्हन के नाम" के सन्देश को समझे और इस से सहमत हैं ?

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